अली ज़रयून की शायरी हिन्दी मे | 399+ BEST Ali Zaryoun Shayari in Hindi

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=> 01 - टॉप Ali Zaryoun Shayari in Hindi With Images


अच्छी लड़की ज़िद नहीं करते

देखो, इश्क बुरा होता है 


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इसलिए तो मैं रोया नहीं बिछड़ते समय

तुझे रवाना किया है, जुदा नहीं किया है 



*


हम ऐसा कहने वाले जब तलक है

ग़ज़ल बन्दूक पर भारी रहेगी 


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ये मोहब्बत है ये मर जाने से भी जाती नहीं 

तू कोई कैदी नहीं है जो रिहा हो जायेगा 




बिछड़ गया हूँ मगर याद करता रहता हूँ

किताब छोड़ चुका हूँ, पढ़ाई जारी है 


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सफ़र शुरू तो होने दे अपने साथ मेरा 

तू ख़ुद कहेगा ये कैसी बला के साथ हूँ मैं 



*


मैं कुछ बता नही सकता कि वो मेरी क्या थी अली 

उसको देख कर बस अपनी याद आती थी 


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तू तो फिर अपनी जान है तेरा तो ज़िक्र क्या

हम तेरे दोस्तों के भी नखरे उठाएंगे 




आगे तो आने दीजिए, रास्ता तो छोड़िये

हम कौन हैं ये सामने आ कर बताएंगे 


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तेरी खुशियों का सबब यार कोई और है ना

दोस्ती मुझसे है और प्यार कोई और है ना 


=> 02 - Ali Zaryoun Shayari 2 Line


तुम्हारे बाद ये दुःख भी तो सहना पड़ रहा है

किसी के साथ मजबूरी में रहना पड़ रहा है 


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मुझे बातें नहीं मुहब्बत चाहिए थी तेरी 

मगर अफ़सोस मुझे ये कहना पड़ रहा है 



*


खयाल में भी उसे बेरिदा नहीं किया है

ये जुल्म मुझसे नहीं हो सका, नहीं किया है 


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जागना और जगा के सो जाना

रात को दिन बना के सो जाना 




ये बदतमीज अगर तुझ से डर रहे हैं तो फिर

तुझे बिगाड़ के मैंने बुरा नहीं किया है 


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सब कर लेना लम्हे ज़ाया मत करना 

गलत जगह पर जज़्बे ज़ाया मत करना 



*


इस तरह से ना आजमाओ मुझे

उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे 


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मैंने बोला था याद मत आना 

झूठ बोला था, याद आओ मुझे 




तू जो हर रोज़ नए हुस्न पे मर जाता है 

तू बताएगा मुझे इश्क़ है क्या? जाने दे 



-


तन्हा ही सही लड़ तो रही है वो अकेली

बस थक के गिरी है अभी हारी तो नहीं है 


=> 03 - अली ज़रयून ग़ज़ल


ये तू जो मोहब्बत में सिला मांग रहा है

ऐ शख्स तू अंदर से भिखारी तो नहीं है 


-


अजल से लेकर अब तक औरतों को 

सिवाय जिस्म क्या समझा गया है। 


*


खुदा की शायरी होती है औरत 

जिसे पैरों तले रौंदा गया है 


तुम्हे दिल के चले जाने पे क्या गम

तुम्हारा कौन सा अपना गया है 


-


मैंने उससे प्यार किया है मिल्कियत का दावा नहीं

वो जिसके भी साथ है मैं उसको भी अपना मानता हूं 




चादर की इज्जत करता हूं और पर्दे को मानता हूं 

हर पर्दा, पर्दा नहीं होता इतना मैं भी जानता हूं 



-


जरूरी तो नहीं हम साथ हैं तो कोई चक्कर हो

वो मेरी दोस्त है और मैं उसे बस अच्छा लगता हूं 



*


मैं सोचता हूं न जाने कहां से आ गए हैं 

हमारे बीच जमाने कहां से आ गए हैं 



-


हालत जो हमारी है तुम्हारी तो नहीं है 

ऐसा है तो फिर ये कोई यारी तो नहीं है 




तुझे किसी ने गलत कह दिया मेरे बारे

नहीं मियां, मैं दिलों को दुखाने वाला नहीं 



-


किसी बहाने से उसकी नाराज़गी खत्म तो करनी थी

उसके पसंदीदा शायर के शेर उसे भिजवाए हैं 



=> 04 - Ali Zaryoun New Poetry


उसे किसी से मोहब्बत थी और वो मैं नहीं था 

 ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी 



-


बात भी कीजिए देख भी लीजिए 

देख भी लीजिए बात भी कीजिए 



*


अस्र के वक़्त मेरे पास न बैठ 

मुझ पे इक साँवली का साया है 



-


क्या बोला मुझे, खुद को तुम्हारा नहीं कहना?

ये बात कभी मुझसे दोबारा नहीं कहना 


ये हुक़्म भी उस जान से प्यारे ने दिया है 

कुछ भी हो मुझे जान से प्यारा नहीं कहना 




यार! बिछड़कर तुमने हँसता बसता घर वीरान किया

मुझको भी आबाद न रक्खा, अपना भी नुकसान किया 



-


सादा हूं और ब्रैंड्स पसंद नहीं मुझ को

मुझ पर अपने पैसे जाया मत करना 



*


चाय पीते हैं कहीं बैठ के दोनों भाई

जा चुकी है ना? तो बस छोड़! चल आ, जाने दे 



-


कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम्हें उलझा सा लगता हूं 

मैं पहली मर्तबा मिलने में सबको ऐसा लगता हूं 


जरूरी तो नहीं हम साथ हैं तो कोई चक्कर हो 

वो मेरे दोस्त है और मैं उसे बस अच्छा लगता हूं 




मिले किसी से, गिरे जिस भी जाल पर मेरे दोस्त

मैं उसको छोड़ चुका उसके हाल पर, मेरे दोस्त


ज़मीन पर सबका मुक़द्दर तो मेरे जैसा नहीं

किसी के साथ तो होगा वो कॉल पर मेरे दोस्त 



-


ये जो हिजरत के मारे हुए हैं यहाँ

अगले मिसरे पे रो के कहेंगे कि हाँ 



=> 05 - फेमस शायरों की शायरी


इसकी ज़द में जो आया रहा ही नही

जिसको ये हो गया वो बचा ही नही 


-


एक आवाज़ कि जो मुझको बचा लेती है

ज़िन्दगी आख़री लम्हों में मना लेती है


जिस पे मरती हो उसे मुड़ के नही देखती वो

और जिसे मारना हो यार बना लेती है 


*


आदमी देश छोड़े तो छोड़े अली

दिल मे बसता हुआ घर नही छोड़ता


एक मैं हूँ कि नींदे नही आ रही

एक तू है कि बिस्तर नही छोड़ता 


-


पागल कैसे हो जाते हैं

देखो ऐसे हो जाते हैं 



कोई शहर था जिसकी एक गली

मेरी हर आहट पहचानती थी


मेरे नाम का इक दरवाज़ा था

इक खिड़की मुझको जानती थी 


-


मैं भी इक शख़्स पे इक शर्त लगा बैठा था

तुम भी इक रोज़ इसी खेल में हारोगे मुझे


ईद के दिन की तरह तुमने मुझे ज़ाया किया

मैं समझता था मुहब्बत से गुज़ारोगे मुझे 


*


पागल कैसे हो जाते हैं

देखो ऐसे हो जाते हैं


ख़्वाबों का धंधा करती हो

कितने पैसे हो जाते हैं


दुनिया सा होना मुश्किल है

तेरे जैसे हो जाते हैं


मेरे काम ख़ुदा करता है

तेरे वैसे हो जाते हैं 


-


नजरअंदाज हो जाने का ज़हर अपनी नसों में भर रहा है कौन जाने

बहोत सर-सब्ज़ ग़ज़लों नज़्मों वाला अपने अंदर मर रहा है कौन जाने


अकेले शख़्स को अपने करीबी मौसमों में किस तरह के ज़ख्म आए

वो आख़िर किसलिए मां-बाप की कब्रों पे जाते डर रहा है कौन जाने


ये जिसके फे़ज़ से अपने पराएं झोलियां भरते हुए थकते नहीं है

ये चश्मा तेरे आने से बहोत पहले तलक पत्थर रहा है कौन जाने


जो पिछले तीस बरसो से मोहब्बत, शायरी और याद से रूठे हुए थे

तेरा शायर वो ही बच्चे वो ही बूढ़े इकट्ठे कर रहा है कौन जाने 



तंज करना है मुझ पर अजी कीजिए 

कर रहे हैं सभी आप भी कीजिए


बात भी कीजिए देख भी लीजिए

 देख भी लीजिए बात भी कीजिए


 आप क्यूं कर रहे हैं मेरे वास्ते

 आप अपने लिए शायरी कीजिए


 खानदानी मुनाफ़िक़ है आप इसलिए

 दोस्तों की जड़े खोखली कीजिए


 आप इस के सिवा कर भी सकते हैं क्या

 यानी जो कर रहे हैं वही कीजिए


 मैं कहां रोकता हूं सितम से भला

 कीजिए कीजिए जान जी कीजिए


 आ गए आप के आस्ताने पर हम 

 अब बुरी कीजिए या भली कीजिए


लीजिए छोड़ता हूं मैं कार-ए-सुखन 

मेरी जानिब से भी आप ही कीजिए


वो अली हो मोहब्बत हो या इश्क हो

इन से मिलिए यहां जिंदगी कीजिए


क्या हसद भी कोई काम करने का है

आशिक़ी कीजिए दिलबरी कीजिए 


-


चरागाहें न‌ई आबाद होगी 

मगर जो बस्तियां बर्बाद होगी


खुदा मिट्टी को फिर से हुक्म देगा

कई शक्लें न‌ई ईजाद होगी


अभी मुमकिन नहीं लेकिन ये होगा

किताबें साहिब-ए-औलाद होगी


मैं उन आंखों को पढ़कर सोचता हूं

ये नज्में किस तरह से याद होगी


ये परियां फिर नहीं आएगी मिलने

ये ग़ज़लें फिर नहीं इरशाद होगी


मैं डरता हूं अली उन आदतों से

के जो मुझको तुम्हारे बाद होगी 


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