दर्द शायरी हिन्दी मे | 199+ BEST Dard Shayari in Hindi

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=> 01 - टॉप Dard Shayari in Hindi With Images


जिसे सबसे ज़्यादा तेरी क़द्र हो

जिसके लिए तेरा चेहरा अब्र हो

एक ऐसा लड़का हूँ मैं

एक ऐसा लड़का हूँ मैं


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नज़र भर के तुमको देखा ही नहीं

जितना भी देखा कम ही लगा

खुदा से मैंने माँगा है तुम्हें

और जितना भी माँगा कम ही लगा


*


तुझे अपने इतने करीब रखूँगा मैं

के तू हिज्र के नाम से भी डरेगी

तुझे एक पल भी अकेला छोडूं ना कभी

तेरी मेरी चिता भी साथ जलेगी


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ये क्या हुनर दिया है लिखने का ए मालिक

दुश्मन भी अब तारीफ करते नही थकते



हाथों को तेरे हाथों की आदत हो गयी है

साँसों को तेरी गर्मी से राहत हो गयी है

तुझसे दूरी का हर पल एक साल सा लगता है

तू जल्दी मुझसे आ मिले मुनाजत हो गयी है


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तुम्हें आता देख सारी खुशियां चली गयी

रेहम करो मुझपर अब तुम भी चले जाओ


*


कहीं मिले तो कहना उससे

एक पागल आशिक़ तेरा नाम गुनगुनाते रहता है


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बदलती रहती है हवाएं मोहब्बत की

कोई किसी का उमर भर नहीं रहता



याद करोगे मेरी बातें मेरे आंसू

जब वो तुम्हें छोड़कर किसी और का हो जाएगा


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याद करोगे मेरी बातें मेरे आंसू

जब वो तुम्हें छोड़कर किसी और का हो जाएगा


=> 02 - दर्द शायरी लव


आयी है यादें उसकी मिलने मुझसे आज

फिर से उनको पन्हा दी ये गलती मेरी थी

घर में मेरे बरकत थी जा जबतक साथ खुदा

पर उसको खुदा बनाया फिर ये गलती मेरी थी


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यहाँ महंगे है दिल के खिलौने भी मुरशद

दिलों का जोड़ा मुझे कहीं आबाद नहीं मिलता

नहीं मिलता वो जिसकी तलाश है मुझे

सच्ची मोहब्बत का तोहफा सब को नहीं मिलता


*


वो वफ़ादार नहीं हर एक पर मरते हैं

पर बातें वफाओं की दिन रात करते हैं

तूने दिल तो दिया हर एक के सीने में खुदा

पर इस जहान में बाजार सिर्फ जिस्मों के चलते हैं


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मुस्कान है चेहरे पे

ये दिल है सूख गया

औरों से क्या शिकवे

मैं खुद से रूठ गया



मैं वक़्त से लड़ सकता हूँ

पर खुद से लड़ नहीं सकता

मैं खुद में कितना तन्हां हूँ

मैं सबसे कह नहीं सकता


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नहीं कोई साथ मेरे

बिखरे जज़्बात मेरे

कैसे समझाऊं मैं

क्या हैं हालात मेरे


*


नहीं कोई साथ मेरे

बिखरे जज़्बात मेरे

कैसे समझाऊं मैं

क्या हैं हालात मेरे


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गैरों से मुझे मोहब्बत होने लगी है

जैसे जैसे अपनों को आज़माता जा रहा हूँ



मेरे हाल बेज़ुबान है

ये आंसू मेरी पहचान हैं

मेरे हिस्से में बस पत्थर हैं

दिल फूलों से अनजान है


-


तुझे भी खुद से नफरत होने लगेगी

अंधेरों की तुझे भी आदत होने लगेगी

तब तुझे पता लगेगा

आखिर इश्क़ है क्या, इश्क़ है क्या


=> 03 - दर्द शायरी दो लाइन


बड़े दिल से बद्दुआ है मेरी

तुझे भी मोहब्बत कभी नसीब ना हो

तेरे भी चेहरे का नूर जाएगा

तेरी भी आँखों में पानी आएगा


-


नहीं चाहिए मेरे चेहरे पर हसी

जब तक तू गैर की बाहों में है

आएगी तुझपर भी धुप वक़्त की

अभी तू मीठी छाओं में है


*


मुझसे बेवफाई करके जो मिलेगा तुम्हें

लोग उसे बद्दुआ कहते हैं


-


दर्द में जो सुकून है तुम नहीं समझोगे

तुम्हें मोहब्बत में बस मोहब्बत चाहिए



कुछ पूरे हुए खाब कुछ अधूरे हुए हैं

हम उनसे बिछड़कर भी जुड़े हुए हैं

मोहब्बत की हमें भी सज़ा मिली है

हम वफ़ा करके भी बुरे हुए हैं


-


कुछ पूरे हुए खाब कुछ अधूरे हुए हैं

हम उनसे बिछड़कर भी जुड़े हुए हैं

मोहब्बत की हमें भी सज़ा मिली है

हम वफ़ा करके भी बुरे हुए हैं


*


पुरानी किताबों की तरह

धूल से भर गयी ज़िन्दगी

सुधारी नहीं जा रही

भूल से भर गयी ज़िन्दगी


-


पहले जैसी अब वो बात कहाँ है

सच्ची मोहब्बत की बरसात कहाँ है

जिस्मों की भीड़ में सब खोए हुए हैं

रूहों की अब वो मुलाकात कहाँ है



जिसके होने से हर गम दूर लगता था

आज उसी के दिए ज़ख्म झेल रहे हैं


-


कोई अभी जान से प्यारा नहीं लगता

मेरी कश्ती को कोई किनारा नहीं लगता

मतलब की बातें हैं मतलब के रिश्ते

सब गैर है कोई सहारा नहीं लगता


=> 04 - अपना दर्द शायरी


ये बुरा वक़्त जाने कब तक सताएगा

और जाने कितने बुरे दिन बताएगा

ज़िन्दगी से अब मन भर सा गया है

कौन जाने मौत वाला दिन कब आएगा


-


ये जो आँखों में मेरे पानी है

ये उसकी आखरी निशानी है


*


खुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगी

पल दो पल की मेहमान है मेरी ज़िन्दगी

मेरे ज़ख्मों का इलाज कुछ नहीं

बस मुझसे ही परेशान है मेरी ज़िन्दगी


-


एक गलती बार बार नहीं करना

जा मुझे फिर प्यार नहीं करना

खुद को संभाला बहुत मुश्किल से मैंने

फिर किसी पर ऐतबार नहीं करना



तू ज़िन्दगी मेरे साथ गुज़ार सकती थी

मैं बुरा था ना तू सुधार सकती थी


-


एक आखरी ख्वाहिश है मेरी

तू सेहरा सजा के आना

जब आए मेरी क़बर पे

तू फेरा लगा के जाना


*


अब तेरे मेरे दरमियां है क्या

जो बचा है ये दूरियां है क्या

एक जवाब आज कल हर ज़ुबान पर है

सुन तेरी भी कुछ मजबूरियां है क्या


-


रब भला करे उनका जो तेरा हाल बताते हैं

खुश है तू भी अब मुझे खाब आते हैं

और मैं क्या करूँ मेरी औकात ही क्या है

चूम लूँ वो पैर जो तेरे घर को जाते हैं



हर तरफ है मोहब्बत के दुश्मन

आशिक़ों का कोई अपना नहीं है


-


रुकना ना अब कहीं झुकना ना अब कहीं

ऐ दिल ये ज़माना पहले सा है नहीं

मतलब की बातें हैं मतलब से मतलब है

जैसा ये दिखता है वैसा ये है नहीं


=> 05 - Dard Shayari 2 Line


जहाँ मैं कहता हूँ ये उधर नहीं जाता

जाने क्यों ये दिल सुधर नहीं जाता

आँखों में आंसूं अच्छे नहीं लगता

तुमसे लड़कर मैं अपने भी घर नहीं जाता


-

सुना दिए सभी किस्से हुए जो थे कभी

नए कुछ ज़ख्म चाहिए चलो फिर इश्क़ करते हैं



*


सादगी पर हम उनकी फ़िदा हुए थे

और उन्हें हमारी शायरी अच्छी लगती थी

नाम उन्होंने कभी लिया नहीं हमारा

हमें उनकी ये अदा भी अच्छी लगती थी


-


मिल गयी थी नज़रें आज फिर उनसे

आज फिर उन्होंने अनदेखा कर दिया



मर गया है वो शख्स जिसे इश्क़ था तुझसे

अब तो एक शायर है जो अपने ज़ख्म लिखता है


-


सब दिखावे की बात है साहेब

इश्क़ सच्चा होता तो शकल नहीं देखते लोग


*


एक जलते हुए फूल ने मुझे धीरे से कहा

मैं तक गया था झूठी मोहब्बत का तोहफा बनते बनते


-


जो कहते थे हमें नाज़ है तुम्हारी मोहब्बत पर

वो अब दूर से हमारी उदासी देखते हैं



सजाए थे जिसके साथ मैंने सपने

वो अब किसी और का बिस्तर सजाती है


-


नाम तेरा अब मैं लूंगा नहीं

बेवफ़ा है तू सारा शहर जानता है


=> 06 - दर्द शायरी लव Hindi


वफ़ा के नाम पर तुमने

मुझे धोखे परोसे थे

कसम भी खायी थी झूठी

बड़े कच्चे भरोसे थे


-


किसी को अपना बनाना मजबूरी तो नहीं

पहली मोहब्बत आखरी हो ये ज़रूरी तो नहीं


*


संभल कर रहना तू ऐ दिल

यहाँ ज़हर बहुत है

कोई अपना नहीं दिखता

यहाँ गैर बहुत है


-


मेरी मोहब्बत के हर क़तरे में तुम हो

मुझे थाम कर रखना कहीं बह ना जाऊँ मैं


^


देर भी होती है बैठना भी नहीं है

याद भी रखना है तुझे सोचना भी नहीं है

हम तो तेरी मोहब्बत से हारे हैं

हार कर लौटना भी नहीं है

जाने भी नहीं देना तुझको

तुझे रोकना भी नहीं है


-


रात का मैं मुसाफिर हूँ

मुझे तेरी रौशनी देदे

मुझको बना ले तू अपना

या मुझको अलविदा कह दे


*


जहाँ खुशबुओं की भी शकल होगी

जहाँ पत्थरों में भी नूर होगा

जहाँ वो खुदा भी दिखाई देगा

जहाँ से ज़माना भी दूर होगा

हम मिलेंगे कभी उस जहान में, जहाँ

मेरी रूह होगी तेरा जिस्म होगा


-


वो जिसे देखने को मेरी आँखें तरस गयी

है वो जिसे मैंने अब तक नहीं देखा


^


कभी अपनी ज़रुरत कभी शौक बना लेते

कुछ ज़ख्म मेरी रूह को बेवजह देते

इतनी जल्दी क्यों मुझे आज़ाद कर दिया

इश्क़ की मुझे थोड़ी और सज़ा देते


-


जिसे देखते रहना मेरी आदत थी

वो अब किसी और की ज़रुरत बन गया है


=> 07 - सीने में दर्द शायरी


बेहतर होता की तुमसे मुलाकात नहीं होती

तुमसे मिलकर तो मैं खुद से भी पराया हो गया


-


ज़माना बहुत बदल गया है साहेब

यहाँ ज़रुरत को मोहब्बत का नाम दिया जाता है


*


दुआ करना की तुम हो जाओ मेरे

तुम्हारी तो खुदा सुनता ही होगा


-


जब दिल मिले होते हैं ना

तो नंबर मिलाने की ज़रुरत नहीं पड़ती


^


भरोसा है मुझे मेरे दिल पर

चाह कर भी किसी और का हो नहीं पाएगा


-


यूँ तो एक दिन सबकुछ बदल जाएगा

पर तेरा बदल जाना ताउम्र याद रहेगा


*


तुझे नहीं तो हाल-ए-दिल किसे सुनाए

हो इजाज़त तो तेरे करीब आए

बहुत बड़ी है दुनिया बता कहाँ जाए

तू कहे तो तेरे नाम पे मर जाए


-


मेरे हिस्से तो बस तेरी यादें ही आयी

तू आया जिसके नसीब में उसे जन्नत मुबारक


^


ज़माना हवा सा है उसे क्या फिकर

जाने कितने पत्तों को पेड़ों से जुदा किया है


-


वो क्या चाहता है मुझसे कुछ साफ नहीं करता

वो मिलने आता है पर बात नहीं करता


=> 08 - अपनों को खोने का दर्द शायरी


कुछ अपनों के सताए हुए भी लोग हैं

आंसू कर किसी के झूठे नहीं होते

मतलब निकलने पर सब बदल ही जाते हैं

अपने भी आज कल अपने नहीं होते


-


खाली मैं अंदर से टूटा हुआ

क़िस्मत से और खुद से रूठ हुआ

रूहानी ज़ख्म हैं दिखते नहीं

मैं यादों से ज़ख्मों को सीता हुआ


*


खिले खिले नज़र आ रहे हो

तुम्हें इंतज़ार पूरा हो गया क्या

इतनी बेरुखी से बात कर रहे हो

तुम्हें दूसरा प्यार हो गया क्या


-


कंगन के निशान गए नहीं अभी

हाथों से जिन्हें छुपा रही हो

मेरे बिना तो एक पल गवारा न था

आज अकेले किधर जा रही हो


^


कश्ती का डूब जाना ही अच्छा था

किनारे ने और बदनाम कर दिया

पुरानी गलतियां भूलने की कोशिश थी

नए इश्क़ ने और बर्बाद कर दिया

-


अलफ़ाज़ कहें तो क्या

जज़्बात कहें तो क्या

जो तुम समझ ना पाओगे

हालात  कहें तो क्या


*


मत करो मुझसे मोहब्बत इस क़दर

दिल तोड़ने पर मैं मजबूर हूँ

तुम अपने ही किये पर फिर पछताओगे

वफादारी से मैं कोसों दूर हूँ


-


तुम्हें आसमानों में क्या दिखा था

उस एक शख्स में मुझे खुदा दिखा था

जला दी मैंने घर की तमाम चीज़ें

उस कागज़ के सिवा जिसपर माँ लिखा था


^


आयी तजुर्बों से ये समझदारी

हर किसी को अपना बनाया नहीं जाता

अपने ज़ख्मों को अपने तक रखो

हर किसी को हाल हाल-ए-दिल बताया नहीं जाता


-


क्यों तुम्हें अब मुझसे मोहब्बत नहीं है

क्या तुम्हें अब मेरी ज़रुरत नहीं है

धोखे ही थे शायद वादे तेरे

मुझे भी अब तेरी चाहत नहीं है


=> 09 - रात दर्द शायरी


मत सताओ मुझे तुम ज़माने की तरह

मुझे बस तुम्हारा सहारा चाहिए

ये दिल मेरा एक डूबती कश्ती है

इस कश्ती को तुम्हारा किनारा चाहिए


-


क्यों मिलाया उससे जिसका हो नहीं सकता

जिसका हूँ उसका मुझे होना नहीं था

ऐ खुदा तूने ये कैसा मेल मिलाया

जो है मेरा, मेरा होना नहीं था


*


कोई उसे ठंडी हवा कहता है

कोई उसकी पायल पे मरता है

उसे सब सबसे बेहतर मानते हैं

चाँद भी उसे सलाम करता है


-


कैसे मानूं उसे इश्क़ है मुझसे

खुश देखा है मैंने उसे मुझसे जुदा होकर

बहुत मुश्किल होता है खुदको समेटना

देखना तुम भी कभी खुद में तबाह होकर


^


अगर तुम्हारे पास है वक़्त ही नहीं

क्या करूँ मैं अपने हालात बताकर

ये मेरी मोहब्बत एक तरफ़ा ही है

क्या करूँ मैं अपने जज़्बात बताकर


-


जो तेरे साथ रहे तो मेरे खिलाफ रहे

फिर मेरे साथ रहे तो तेरे खिलाफ रहे

ऐसे लोगों का हिसाब ख़ुदा अलग से करेगा


*


तेरा होकर भी मैं तनहा ही रहा

मुझे तन्हाइयों की आदत हो गयी

सोच तेरे नाम पर मिट जाने वाले को

क्यों तेरे ही नाम से नफरत हो गयी


-


तेरे गुनाह एक तरफ मेरी गलती एक तरफ

तेरे सताए आशिक़ों की बस्ती एक तरफ

सब पागल हो गए मेरा हाल देखकर

मेरे आंसू एक तरफ मेरी हसी एक तरफ


^


चेहरे पे हिजाब आँखों में शर्म

तेरे हर किरदार की बात और हैं

मुझे देखे तू मेरा ऐसा नसीब कहाँ

सुना है तेरे चाहने वाले और हैं


-


तुझे मेरे प्यार पर शक क्यों है

सिर्फ तुझे दिल तोड़ने का हक़ क्यों है

तूने मुझे अपना कहा समझा नहीं मगर

तेरे मेरे प्यार में फ़र्क़ क्यों है


=> 10 - जख्म दर्द शायरी


तुझे मेरे प्यार पर शक क्यों है

सिर्फ तुझे दिल तोड़ने का हक़ क्यों है

तूने मुझे अपना कहा समझा नहीं मगर

तेरे मेरे प्यार में फ़र्क़ क्यों है


-


इस शहर-महलों में कोई आम इंसान नहीं दिखता, गम के वक्त कोई, किसी के साथ नहीं दिखता।


*


शहर की जंगलों में वो इंसान ढूंढता है, वो गावं से आया है, सुकून ढूंढता है।


-


मैंने अपने आप के साथ सही हूँ, किसी और के साथ रहने के लिए, बदलना पड़ता है इस दुनिया में।


^


आपकी आँखें बताती है, की आपके अंदर का दर्द बहुत गहरा है।


-


दर्द दूर करने के लिए कभी कभी, दवा नहीं दीदार की जरुरत होती है।


*


ना साथ रह सकते है, ना दूर जा सकते है। ये कैसी मजबूरी है, आज हम रो भी नहीं सकते है।


-


अपनों के दिये दर्द ज्यादा चुभते है।


^


दर्द की सबसे खास बात ये है की, ये आपको पहले से ज्यादा मजबूत बना देती है।


-


सब को ज़िंदगी में अपने हिस्से का दर्द मिला है, किसी ने खुद काटा है, तो किसी ने अपनों के साथ बांटा है।


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