मनोज मुंतशिर की शायरी हिन्दी मे | 199+ BEST Manoj Muntashir Shayari in Hindi

Manoj Muntashir Shayari in Hindi - Read Best मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता And Share On Your Social Media Like Facebook, WhatsApp And Instagram.


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


=> 01 - टॉप Manoj Muntashir Shayari in Hindi With Images


सीने के उस कोने में भी तू है, जहाँ दिल होता है…

इतना ज्यादा कोई किसी के अंदर दाखिल होता है..??

भागता फिरता हूँ मैं तुझसे, रोज़ सुबह से शाम तलक…

फिर भी मेरी सांस-सांस में, तू ही शामिल होता है.


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


कल सूरज सर पे पिघलेगा तो याद करोगे,

कि माँ से घना कोई दरख़्त नहीं था…

इस पछतावे के साथ कैसे जियोगे,

कि वो तुमसे बात करना चाहती थी

और तुम्हारे पास वक़्त नहीं था.


*


अँधेरी रात नहीं लेती नाम ढलने का,

यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का.


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


कभी खुद्धारी की सरहद ही नहीं लांघते है,

भीख तो छोड़िये, हम हक़ भी नहीं मांगते है.



अच्छा लिखने के लिए इश्क हो जाना जरूरी है,

बहुत अच्छा लिखने के लिए उस इश्क का खो जाना जरूरी है.


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


पिछली कई सदियों से हमने

अपने इतिहास की जमीने लावारिस छोड़ रखी है,

हम इस हद तक ब्रेन ब्रेन वॉशड हो गये

कि अचानक हमारी प्री-प्राइमरी स्कूल की टेक्स्ट बुक

में ग से गणेश की जहग, ग से गधा लिख दिया गया और

हमारे माथे पर बल तक नही पड़ा.


*


मैंने लहू के कतरे मिटटी में बोये है

खुशबू जहाँ भी है मेरी कर्जदार है,

ऐ वक़्त होगा एक दिन तेरा मेरा हिसाब

मेरी जीत जाने कब से तुझ पे उधार है.


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


हफ्ते में चार रातें तो ऐसी निकलती है

जब यादें मेरे साथ छतों पर टहलती है

तुम आज भी मेरी नही हो कल भी नही थी

अफवाह है कि किस्मतें एक दिन बदलती है

देखूँ तुम्हें तो पड़ती है दिल में जरा सी ठंड

और फिर महीनों तक मेरी आँखे जलती है

कब तक तेरी यादों से मैं परहेज करूंगा

ये आरिया तो रोज मेरे दिल पे चलती है.



ये गलत बात है कि लोग यहाँ रहते है,

मेरी बस्ती में अब सिर्फ मकाँ रहते है,

हम दिवानो का पता पूछना तो पूछना यूँ

जो कही के नही रहते वो कहाँ रहते है.


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


मैं अपनी गलियों से बिछड़ा मुझे ये रंज रहता है,

मेरे दिल में मेरे बचपन का गौरी गंज रहता है.


=> 02 - मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी


लपक के चलते थे बिल्कुल सरारे जैसे थे,

नये-नये थे तो हम भी तुम्हारे जैसे थे.


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


आज आग है कल हम पानी हो जायेंगे,

आखिर में सब लोग कहानी हो जायेंगे.


*


जैसा बाजार का तकाजा है,

वैसा लिखना अभी नही सीखा

मुफ्त बंटता हूँ आज भी मैं तो

मैंने बिकना अभी नही सीखा

एक चेहरा है आज भी मेरा

वो भी कमबख्त इतना जिद्दी है

जैसी उम्मीद है जमाने को

वैसा दिखना अभी नही सीखा.


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


जूते फटे पहनके आकाश पर चढ़े थे,

सपने हमारे हरदम औकात से बड़े थे,

सिर काटने से पहले दुश्मन ने सिर झुकाया

जब देखा हम निहत्थे मैदान में खड़े थे.



सीने के उस कोने में भी तू है, जहाँ दिल होता है…

इतना ज्यादा कोई किसी के अंदर दाखिल होता है..??

भागता फिरता हूँ मैं तुझसे, रोज़ सुबह से शाम तलक…

फिर भी मेरी सांस-सांस में, तू ही शामिल होता है.

-मनोज मुंतशिर


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


न दिन है न रात है…

कोई तन्हा है न साथ है…

जैसी आँखें वैसी दुनिया..

बस इतनी सी बात है.


*


हवा में घर बनाया था कभी जो

उसी के सामने बेबस पड़ा हूं

तुम्हारे बिन दरीचा कौन खोलें?

कई जन्मों से मैं बाहर खड़ा हूं…


manoj muntashir shayari in hindi, मनोज मुंतशिर की देशभक्ति शायरी, मनोज मुंतशिर की कविताएं, मनोज मुंतशिर की गजलें, मनोज मुंतशिर कविता कोश, मनोज मुंतशिर कविता पिता, मनोज मुंतशिर wife, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी मनोज मुंतशिर, मनोज मुंतशिर रेख़्ता


बयान सच के तराज़ू में तोलता हूँ मैं…

तेरी ख़ुशी के लिए थोड़ी बोलता हूँ मैं ..!!!



अँधेरी रात नहीं लेती नाम ढलने का,

यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का.


-


तू किसी की भी रहे, तेरी याद मेरी है,

अमीर हूँ मैं कि ये जायदाद मेरी है.


=> 03 - मनोज मुंतशिर की कविताएं


कभी खुद्धारी की सरहद ही नहीं लांघते है,

भीख तो छोड़िये, हम हक़ भी नहीं मांगते है.


-


अच्छा लिखने के लिए इश्क हो जाना जरूरी है,

बहुत अच्छा लिखने के लिए उस इश्क का खो जाना जरूरी है.


*


पिछली कई सदियों से हमने

अपने इतिहास की जमीने लावारिस छोड़ रखी है,

हम इस हद तक ब्रेन ब्रेन वॉशड हो गये

कि अचानक हमारी प्री-प्राइमरी स्कूल की टेक्स्ट बुक

में ग से गणेश की जहग, ग से गधा लिख दिया गया और

हमारे माथे पर बल तक नही पड़ा.


-


मैंने लहू के कतरे मिटटी में बोये है

खुशबू जहाँ भी है मेरी कर्जदार है,

ऐ वक़्त होगा एक दिन तेरा मेरा हिसाब

मेरी जीत जाने कब से तुझ पे उधार है.



कब तक तेरी यादों से मैं परहेज करूंगा

ये आरिया तो रोज मेरे दिल पे चलती है.


-


देखूँ तुम्हें तो पड़ती है दिल में जरा सी ठंड

और फिर महीनों तक मेरी आँखे जलती है


*


तुम आज भी मेरी नही हो कल भी नही थी

अफवाह है कि किस्मतें एक दिन बदलती है


-


हफ्ते में चार रातें तो ऐसी निकलती है

जब यादें मेरे साथ छतों पर टहलती है


^


हम दिवानो का पता पूछना तो पूछना यूँ

जो कही के नही रहते वो कहाँ रहते है.


-


ये गलत बात है कि लोग यहाँ रहते है,

मेरी बस्ती में अब सिर्फ मकाँ रहते है,


Recommended Posts :

Thanks For Read मनोज मुंतशिर की शायरी हिन्दी मे | 199+ BEST Manoj Muntashir Shayari in Hindi. Please Check New Updates On Shayari777 Blog For Get Fresh New Hindi Shayari, English Shayari, Love Shayari, Sad Shayari, Motivational Shayari, Attitude Shayari And All Type Shayari Poetry.

No comments:

Post a Comment