सफर शायरी हिन्दी मे | 299+ BEST Safar Shayari in Hindi
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=> 01 - टॉप Safar Shayari in Hindi With Images
ख्वाहिश में मेरी केवल इतना गम है, कि मैं तेरी यादो के सहारे सफ़र में चलता जा रहा हूँ।
ये सफ़र है, लगता है अब मेरा कोई घर नहीं, ताउम्र सफ़र में बिता दी ज़िंदगी मैने, अब लगता है कि सफ़र का हि हूँ मैं।
*
अब घर में मैं मेहमान हो गया हूँ, रोज़ आता जाता हूँ, यूही लगता है अब बेघर हो गया हूँ मैं।
ये रास्ते कहां तक हैं इनका कोई किनारा क्यों नहीं दिखता, इस तन्हाई में कोई सहारा क्यों नहीं दिखता।
ये रास्ता मुझे समझ नहीं आता, मुसाफ़िर हूँ मैं और मंजिल का कुछ पता नहीं।
ज़िन्दगी के सफ़र में सबको साथ लेकर चलते रहो, वरना ज़िन्दगी अफ़सोस से भरी रहेगी।
*
उम्र बिना रुके चली जा रही है, लगता है सफ़र लम्बा है।
कितने दुख हैं इस जीवन में, पर सफ़र पर निकल के देखो कितनी खुशियां हैं।
ख्वाहिश इतनी है कि मंजिल मिल जाए मौत से पहले।
वो मंजिल ही क्या जिसके रास्ते में मजा न हो।
=> 02 - Safar Shayari in Hindi 2 Line
ज़िंदगी के सफर में हूँ लेकिन मानो कहीं गहरे पानी सा ठहरा सा हूँ।
नई चीज़ों से रु ब रु होना चाहते है तो एक बार अकेले सफर पर निकलें।
*
ज़िंदगी के इस सफर में रिश्तों का बोझ जितना कम हो, सफर उतना आसान हो जाता है।
लोग चाहे जितना भी करीब हो, लेकिन हर कोई अकेला है ज़िंदगी के इस सफर में।
सफर करने से ज़िंदगी का अनुभव बढ़ता है।
क्या खूब सफर है ये ज़िंदगी, हर रोज़ वही सुबह और वही शाम, फिर भी हर रोज़ का सवेरा नया लगता है।
*
जिंदगी को यादगार बनाते चलिए,
इसलिए सफर पर जरूर चलिए।
सपनों को करना है पूरा तो चलते रहो,
जीवन की गाड़ी के साथ यू हीं बढ़ते रहो।
करोगे सफर तो मिलेंगे नए दोस्त,
राही बनोगो तो मिलेगा हमसफर,
-
मशहूर हो जाते हैं वो,
जिनकी हस्ती बदनाम होती है,
कट जाती है जीवन सफ़र में अक्सर,
जिनकी मंजिलें गुमनाम होती हैं
=> 03 - सफर शायरी दो लाइन
दिल से मांगी जाए तो,
हर दुआ में असर होता है,
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं,
जिनकी जिंदगी में सफ़र होता है
-
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ…
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली
*
आओ संग में एक कहानी बनाते हैं,
चलो कहीं घूम के आते हैं!
-
जिंदगी के सफर में तू है मुसाफिर,
हमेशा चलते रहना जिंदगी की खातिर।
जिंदगी है एक खूबसूरत सफर,
इसका हर एक पल जी भर जियो,
-
जिंदगी में करते रहो हमेशा सफर,
क्या पता ये समां फिर हो न हो।
*
मंजिल बड़ी हो तो, सफ़र में कारवां छूट जाता है,
मिलता है मुकाम तो, सबका वहम टूट जाता है
-
घूमना है मुझे सारा जहां, तुम्हें अपने साथ ले कें,
बनानी हैं बहुत सी यादें, हाथों में तुम्हारा हाथ ले के
दिल से मांगी जाए तो, हर दुआ में असर होता है
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनकी जिंदगी में सफ़र होता है
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हर यात्रा आसान है, अगर तुमने ठान लिया है उसे पूरा करना।
=> 04 - जिंदगी का सफर शायरी
प्यारा हो हमसफर, तो हर सफर सुहाना बन जाता है।
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यात्रा में छोड़े गए छोटे-छोटे निशान, एक बड़े सफर की निशानी बन जाते हैं।
*
जीवन और सफर दोनों ही बहुत कुछ सिखाते हैं,
ढेरों यादें बनाते हैं, कई नई कहानियां लिख जाते हैं।
-
जीवन और सफर दोनों ही
नए-नए अनुभव कराते हैं।
यात्रा एक गुरु की तरह है, जो जीवन के सबसे नए अध्याय सिखाती है।
अगर समझना है जीवन को, तो यात्रा जरूर करिए।
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सपनों को करना है पूरा तो चलते रहो,
जीवन की गाड़ी के साथ यू हीं बढ़ते रहो।
*
जब भी सफर करो, दिल से करो,
सफर से खूबसूरत यादें नहीं होतीं।
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जो दुनिया नहीं घूमें, तो क्या घूमा,
जो दुनिया नहीं देखी, तो क्या देखा।
सफ़र-ए- जिंदगी का तू अकेला ही मुसाफिर है,
बेगाने हैं ये सब जो अपनापन जताते हैं,
छोड़ जाएँगे ये साथ इक दिन तेरा राहों में,
वो जा आज खुद को तेरा हमसफ़र बताते हैं
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बीत जाएगा ये सफ़र भी दर्द की राहों का,
मिलेगा साथ जब खुशियों की बाहों का,
बढ़ाते रहना कदम, मत रुकना कभी,
होगा रुतबा तेरा जैसे शहंशाहों का
=> 05 - जिंदगी एक सफर Status
बीत जाएगा ये सफ़र भी दर्द की राहों का,
मिलेगा साथ जब खुशियों की बाहों का,
बढ़ाते रहना कदम, मत रुकना कभी,
होगा रुतबा तेरा जैसे शहंशाहों का
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मुकम्मल होगा सफ़र एक दिन,
बस दिल में ताजा जज़्बात रखना,
तमाम मुश्किलें आएंगी लेकिन,
अपने काबू में हर हालत रखना
*
खुद को पाना है, तो सफर जरूर कर मुसाफिर।
जीवन है एक सफर, इसलिए सफर जरूर कर।
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वो जीवन में क्या आये, बदल गयी जिंदगी हमारी,
वरना सफ़र-ए-जिंदगी कट रही थी, धीरे-धीरे
ज़ख्म कहां कहां से मिले हैं, छोड़ इन बातों को,
ज़िंदगी तू तो बता, सफर और कितना बाकी है
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इन अजनबी सी राहों में, जो तू मेरा हमसफ़र हो जाये,
बीत जाए पल भर में ये वक़्त, और हसीन सफ़र हो जाये
*
इन अजनबी सी राहों में, जो तू मेरा हमसफ़र हो जाये,
बीत जाए पल भर में ये वक़्त, और हसीन सफ़र हो जाये
-
तुझे तेरा हमसफर मुबारक,
मुझे मेरा सफर मुबारक,
मिलेंगे कभी राह में हम,
तो होगा ये समा मुबारक।
रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में,
मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ।
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जूते महंगे हैं अब पर छोटा सा सफर है,
एक तरफ ऑफिस, दूसरी तरफ घर है।
=> 06 - मंजिल सफर शायरी
जूते महंगे हैं अब पर छोटा सा सफर है,
एक तरफ ऑफिस, दूसरी तरफ घर है।
*
उम्र बिना रुके सफर कर रही है,
और हम ख़्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं।
-
हमारी मुहब्बत के सफ़र में एक ऐसा मोड़ भी आया,
ग़ैरों से करते रहें वो गुफ़्तगू,
और हर बार बेवफ़ा हमें बताया।
^
है नया सफर नयी राह,
मगर ख्वाब वही मंजिल वही।
-
कुछ सफर मंज़िल से ज्यादा खूबसूरत होते हैं,
कुछ मोहब्बतों का अधूरा रह जाना ही मजा है।
*
मुझे तो पता था तु कही और का मुसाफ़िर था,
हमारा शहर तो बस यूं ही,
तेरे रास्ते मैं आ गया था।
-
थोड़ी सी मुस्कुराहट बरकरार रखना,
सफर में अभी और भी किरदार निभाने हैं।
^
एक सफर वो भी है जिसमें,
पैर नहीं दिल दुखता है।
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एक सफर वो भी है जिसमें,
पैर नहीं दिल दुखता है।
=> 07 - सफर शायरी Rekhta
बस सफर हुआ था साथ में,
मंजिल अलग थी दोनों की।
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तराश रहा हूं खुद को हर शब्द की नोक पर,
बोलबच्चन से लेखक तक का सफर जो तय करना हैं।
*
तराश रहा हूं खुद को हर शब्द की नोक पर,
बोलबच्चन से लेखक तक का सफर जो तय करना हैं।
-
तुमसे दूर जाने के सफर में,
हमसफ़र बन जाती हैं तुम्हारी यादें।
^
अभी तो बस चंद लफ़्ज़ों में ही
समेट कर रखा है तुम्हें,
किताबों का सफ़र तो अभी बाकी ही है।
-
मंजिल, सफर, वादियाँ सब झूठ है,
रात में थककर सबको नींद आती है।
*
सफ़र का मज़ा लेना है तो
सामान कम रखिए,
जिंदगी का मज़ा लेना है तो
अरमान कम रखिए।
-
सफर ये लम्बा बड़ा है,
एक और सहारा दे मौला,
एक बार तुने दे दिया,
एक और ईशारा दे मौला।
^
उम्मीद की रोशनी है जब तक,
सफर जारी है तब तक,
मंजिल मिलेगी आज नहीं तो कल तक।
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यू तो कई मुसा़फीर आये और गये,
पर वो जो कुछ पल ठहरा,
जिदगीं के मायने बदल गये।
=> 08 - सफर शायरी उर्दू
ख्वाब ए हकीकत में बदलने की,
सफर ए कारवां अभी जारी है।
-
ख्वाब ए हकीकत में बदलने की,
सफर ए कारवां अभी जारी है।
*
लम्हें भटक रहे हैं,
हर पल हर पहर में,
चल रहा हूँ मैं,
या है ये वक़्त सफ़र में।
-
लम्हें भटक रहे हैं,
हर पल हर पहर में,
चल रहा हूँ मैं,
या है ये वक़्त सफ़र में।
^
लम्हें भटक रहे हैं,
हर पल हर पहर में,
चल रहा हूँ मैं,
या है ये वक़्त सफ़र में।
-
हर गाम हादसा है ठहर जाइए जनाब
रस्ता अगर हो याद तो घर जाइए जनाब
दिन का सफ़र तो कट गया सूरज के साथ साथ
अब शब की अंजुमन में बिखर जाइए जनाब
*
मुझे ख़बर थी मेरा इन्तजार घर में रहा
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
-
सफ़र से लौट जाना चाहता है
परिंदा आशियाना चाहता है
कोई स्कूल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है
^
क्या बताऊँ कैसे खुद को दरबदर मैंने किया उम्र भर
किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया
तू तो नफ़रत भी न कर पायेगा इस शिद्दत के साथ
जिस बला का प्यार बेखबर तुझसे मैंने किया
-
एक लम्हे का सफ़र है दुनिया
और फिर वक़्त ठहर जाता है
चंद ख़ुशियों को बहम करने में
आदमी कितना बिखर जाता है
=> 09 - सफर ए-जिंदगी
जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा
जब तक मंदिर और मस्जिद हैं
मुश्किल में इंसान रहेगा
-
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफिला साथ और सफ़र तन्हा
अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
*
मैं अकेला बहोत देर चलता रहा
अब सफ़र जिंदगानी का कटता नही
जब तलक़ कोई रंगीन सहारा ना हो
वक्त काफ़िर जवानी का कटता नही
-
ज़िंदगी है मुख़्तसर आहिस्ता चल
कट ही जाएगा सफ़र आहिस्ता चल
एक अंधी दौड़ है किस को ख़बर
कौन है किस राह पर आहिस्ता चल
^
दिल से मांगी जाए तो हर दुआ में असर होता है
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनकी जिंदगी में सफ़र होता है
-
मशहूर हो जाते हैं वो जिनकी हस्ती बदनाम होती है
कट जाती है जिंदगी सफ़र में अक्सर जिनकी
मंजिलें गुमनाम होती हैं
*
मुसीबतें लाख आएंगी जिंदगी की राहों में रखना तू सबर
मिल जाएगी तुझे मंजिल इक दिन बस जारी रखना तू सफ़र
-
रहेंगे दर्द जिंदगी में तो ख़ुशी का इंतजाम क्या होगा
निकल पड़े हैं जो बदलने खुद को
न जाने इस सफ़र का अंजाम क्या होगा
^
जो आता है वो जाता है ये दुनिया आनी जानी है
यहां हर राह मुसाफिर है और सफर मेँ जिँदगानी है
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ज़िंदगी का सफ़र तय तो करते रहे
रात कटती रही दिन गुज़रते रहे
=> 10 - ट्रेन सफर शायरी
मंजिल बड़ी हो तो सफ़र में कारवां छूट जाता है
मिलता है मुकाम तो सबका वहम टूट जाता है
-
सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है
अब आसमान तलक रास्ता बनाना है
*
सिर्फ़ दरवाज़े तलक जा के ही लौट आया हूँ
ऐसा लगता है कि सदियों का सफ़र कर आया हूँ
-
ये उम्र भर का सफ़र है इसी सहारे पर
कि वो खड़ा है अभी दूसरे किनारे पर
^
हम-सफ़र थम तो सही दिल को सँभालूँ तो चलूँ
मंज़िल-ए-दोस्त पे दो अश्क बहा लूँ तो चलूँ
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जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे
*
जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे
-
जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे
^
इन अजनबी सी राहों में, जो तू मेरा हमसफ़र हो जाये
बीत जाए पल भर में ये वक़्त, और हसीन सफ़र हो जाये
-
सफ़र में ऐसे कई मरहले भी आते हैं
हर एक मोड़ पे कुछ लोग छूट जाते हैं
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