नेचर शायरी हिन्दी मे | 299+ BEST Nature Shayari in Hindi

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=> 01 - टॉप Nature Shayari in Hindi With Images


प्रकृति

भूख लगने पर औरों को खाना खिलाना ये प्रकृति है,

इंसान

भूख लगने पर दूसरों के खाने को खा जाना ये विकृति है।


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कुछ तो बात है इन हवाओं में,

वरना साथ इन्हें पंछियों का ना मिलता I


*


पत्तों से सीखिए मस्ती में झूमते रहना,

टहनियों से सीखिए दूसरों को सहारा देना,


पत्थर के सीने में भी अमृत है जीवन का,

क्या मोल इस धन का, प्रकृति के कण-कण का।


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कुदरत के हैं ये खेल,

हम कभी नहीं समझ पाएंगे।



कुदरत को समझो,

उस से प्यार करो,

उसके पास रहो,

यह आपको कभी भी निराश नहीं करेगी।


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उलझे से रहते हैं हम,

कभी खुद को नहीं ढाल पाएंगे,


*


जीवन में कुछ चीजें ऐसी हैं जो आप सिर्फ शांति में सीख सकते हैं

और कुछ चीजें ऐसी हैं जो आप सिर्फ तूफान में सीख सकते हैं।


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गुनाह तो बहुत बड़े किए होंगे हमने प्रकृति के साथ,

वरना गंगाजल की जगह शराब से हाथ न धोने पड़ते।



जिस दिन प्रकृति नष्ट हो जाएगी,

उस दिन ये दुनिया, मनुष्य सब कुछ नष्ट हो जाएगा,

इसलिए हमें प्रकृति को नष्ट होने से बचाना है। 


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आओ हम मिलकर पेड़ लगाए,

धरती को फिर से स्वर्ग बनाएं।


=> 02 - Nature Shayari 2 Line


फूलों से सीखिए सबके जीवन में रंग भरना,

पेड़ों से सीखिए ऊँचाईयों को छूना,

कलियों से सीखिए मुस्कुरा कर जीना,

काँटों से सीखिए कष्टों से उबरना।


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पुस्तक और प्रकृति से बेहतर दोस्त

इस दुनिया में और कोई नहीं।


*


पुस्तक और प्रकृति से बेहतर दोस्त

इस दुनिया में और कोई नहीं।


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जब आप प्रकृति से सच्चा प्यार करते हैं तो,

आपको दुनिया की हर जगह, हर चीज खूबसूरत लगेगी।



दुनिया में हमें वही मिलता है,

जो हम दूसरे को देते है,

प्रकृति की ही एक ऐसी व्यवस्था है,

जो सिर्फ देती है,

बदले में कुछ लेती नहीं। 


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प्रकृति कहना चाहती है हमसे,

बचा है वक्त संभल जाओ अभी से,

बहुत हुआ दोहन और चली मनमर्जी,

नहीं सुधरे, तो फिर दिखेगी प्रकृति की सख्ती।


*


पता नहीं हम अपनों से क्यों रिश्तों को तोड़ देते हैं,

प्रकृति फिर भी किसी न किसी बहाने हमसे रिश्ता जोड़ लेती है।  


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पतझड़ हुए बिना पेड़ों पर नए पत्ते नहीं आते,

कठिनाई और संघर्ष सहे बिना अच्छे दिन नहीं आते। 



प्रकृति जीवन देती है,

मानव का सम्पूर्ण जीवन प्रकृति पर ही आधारित है,

प्रकृति से ही है जीवन का आधार,

इसके बिना सबका जीवन है बेकार।


-


कुदरत साथ ना दे तो दुनिया साथ नहीं देती,

मेरी अपनी ही परछाई धूप आने के बाद मिली।


=> 03 - प्रकृति प्रेम पर शायरी


प्रकृति मुफ्त में हवा बेशकीमती देती है,

सांस लेने और जिंदा रहने का आधार देती है,

लोग वेंटिलेटर के ऑक्सीजन को कीमती समझते हैं,

जिंदगी देने वाले पेड़ और प्रकृति से खिलवाड़ करते हैं।


-


कुदरत को देखने का अपना नजरिया गहरा करें,

तो ये दुनिया आपको बहुत खूबसूरत लगने लगेगी।  


*


प्रकृति ही है जो इस जीवन में स्वार्थहीन है,

वरना मनुष्य तो अपने स्वार्थ के लिए अपनों तक को नहीं छोड़ता।  


-


दुनिया वो नहीं जो दिखती है,

दुनिया तो वो है जो प्रकृति की देन है,

जिसे हम महसूस करते है,

और प्रकृति की सुंदरता सात रंगों से ही खिलती है।



वो इंसान दुनिया में सबसे धनवान है,

जो कम से कम में भी संतुष्ट है,

क्योंकि संतुष्टि ही प्रकृति की दौलत है।  


-


कुदरत का करिश्मा है,

देखो चारों तरफ हरियाली है,

हम इनको हैं काटते और

यह करती हमारी रखवाली है।


*


चलो आज एक नई प्रार्थना करते हैं,

धैर्य, त्याग, अनुशासन और समर्पण से,

अपने संस्कारों को सींचते हैं,

लोभ, मोह, स्वार्थ और द्वेष को छोड़ते हैं,

चलो हम प्रकृति से कुछ सीखते हैं।  


-


प्रकृति को सींचोगे तो कल इसका फल जरूर मिलेगा,

ये वो रिश्ता है जहाँ कभी धोखा नहीं मिलेगा।



प्रकृति को सींचोगे तो कल इसका फल जरूर मिलेगा,

ये वो रिश्ता है जहाँ कभी धोखा नहीं मिलेगा।


-


बचपन में हमने लगाए थे कुछ पेड़ आज उसी की छाया है,

कल हम रहें न रहें पर ये पेड़ रहेंगे यही प्रकृति की माया है।


=> 04 - नेचर शायरी इन English


पर्वत से सीखो गर्व से शीश उठाना,

सागर से सीखो जी भरकर लहराना,

प्रकृति नहीं सिखाती किसी को ठुकराना,

इसे बस आता है सबको अपनाना।


-


प्रकृति मुफ्त में हवा बेशकीमती देती है,

सांस लेने और जिंदा रहने का आधार देती है,

लोग वेंटिलेटर के ऑक्सीजन को कीमती समझते हैं,

जिंदगी देने वाले पेड़ और प्रकृति से खिलवाड़ करते हैं।


*


अगर अगली पीढ़ी को देनी है चैन की सांस,

लगाओ अनगिनत पेड़ और संरक्षित करो पूरा जहान।


-


अगर अगली पीढ़ी को देनी है चैन की सांस,

लगाओ अनगिनत पेड़ और संरक्षित करो पूरा जहान।



भूलकर भी मत काटना किसी पेड़ को, इनमें भी बसती है जान,

नहीं रहेंगे अगर पेड़, तो यह धरती हो जाएगी सुनसान।


-


पता नहीं हम अपनों से क्यों रिश्तों को तोड़ देते हैं,

प्रकृति फिर भी किसी न किसी बहाने हमसे रिश्ता जोड़ लेती है।


*


तुम्हारी गलतियां एक दिन तुम्हारा काल बनेगी,

पेड़ लगाओं और अपनी गलतियों को सुधारों।


-


इस नश्वर जीवन में कुछ भी मुफ्त का नहीं है,

सिर्फ प्रकृति ही वो सुविधा है, जो मुफ्त में सब कुछ देती है।



दुनिया में तुम्हें वही मिलता है, जो तुम दूसरों को देते हो,

प्रकृति ही एक ऐसी व्यवस्था है, जो सिर्फ देती है, बदले में कुछ लेती नहीं।


-


दुनिया वो नहीं जो दिखती है,

दुनिया तो प्रकृति के सात रंगों से ही खिलती है।


=> 05 - प्रकृति और मनुष्य शायरी


पेड़ तो हैं मानव जीवन का आधार,

इसको तो संरक्षित करो मेरे यार।


-


गर करोगे पेड़ और पौधों को नष्ट,

जल्द ही खत्म हो जाएगा मानव जीवन का पूरा चक्र।


*


जंगल हैं, तो किसके हैं, नदी है, तो है किसकी,

ये पेड़, पहाड़ और झरने, ये सारी प्रकृति है किसकी,

इन बातों को ध्यान में रखकर उठाना अपनी कुल्हाड़ी,

वरना प्रकृति दिखाएगी ऐसा रूप, मात खा जाएंगे बड़े से बड़े खिलाड़ी।


-


नदी, पहाड़, जंगल और झरने ये सब हैं प्रतीक निस्वार्थ के,

आओ इनको संरक्षित कर सुरक्षित करें जीवन अपनों के।



आज सींचोगे तो कल फल जरूर मिलेगा,

ये वो रिश्ता है जहां कभी धोखा नहीं मिलेगा।


-


हमने गर लगाए खूब सारा पेड़, काम वो हमारे ही आएगा,

सींचेंगे गर हम उसे रोज, साथ वो हमारा जीवन भर निभाएगा।


*


प्रकृति की आभा को आंकों न कम तुम,

सूकून की नींद कहीं आएगी, तो वो इसी की छांव है।


-


आओ हम मिलकर पेड़ लगाए,

धरती को फिर से स्वर्ग बनाएं।



विकासवाद की अंधी दौड़ में काट रहें हम पेड़ों को क्यों?

पा लेंगे कुछ जमीं का टुकड़ा, पर मत पूछो हम खो देंगे क्या?


-


बचपन में हमने लगाए थे कुछ पेड़ आज उसी की छाया है,

कल हम रहें न रहें पर ये पेड़ रहेंगे यही प्रकृति की माया है।


=> 06 - सौंदर्य शायरी


जो गर आज काटोगे तुम पेड़-पौधे, तो कल नहीं होगी हरियाली,

कल जो होगी संतान तुम्हारी, वो फिर कैसे काटेगी जिंदगानी।


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आओ करें अपने आस-पास प्रकृति का बचाव,

इसी से होगा आने वाली पीढ़ियों का बचाव।


*


प्रकृति से मिलती हमें हवा,

प्रकृति से मिलती हमें दुआ,

प्रकृति से मिलता है सब कुछ,

फिर भी नहीं होती प्रकृति संग वफा।


-


अचरच होती है मनुष्य का व्यवहार देखकर,

मनुष्य द्वारा प्रकृति संग हो रहा खिलवाड़ देखकर,

मन खुश होता है प्रकृति का अपार स्नेह देखकर,

दिल में सांप लोटते हैं, मनुष्य तेरा निर्लज्ज व्यवहार देखकर।


^


अचरच होती है मनुष्य का व्यवहार देखकर,

मनुष्य द्वारा प्रकृति संग हो रहा खिलवाड़ देखकर,

मन खुश होता है प्रकृति का अपार स्नेह देखकर,

दिल में सांप लोटते हैं, मनुष्य तेरा निर्लज्ज व्यवहार देखकर।


-


पेड़ तू काटता जा रहा,

नदी-नालों को ढकता तू जा रहा,

फिर भी सुकून की तलाश में पहाड़ों पर तू जा रहा,

प्यारे एहसास के लिए नदियों के पास तू पहुंच रहा,

इतना अजीब व्यवहार क्यों मनुष्य तू कर रहा,

क्यों, तू आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ भी नहीं बचा रहा।


*


पहाड़ों ने टूटकर रास्ता तोड़ दिया,

नदियों के वेग ने घर तेरा बहा दिया,

तबाही के इस मंजर ने तुझे अंदर तक दहला दिया,

ये सब तेरी करनी है, जिसका सिला प्रकृति ने दिया।


-


नदियों से रास्ता तुमने छिना है,

बाढ़ लाने का न्योता तुमने ही दिया है,

नदियों को कोसने से कुछ नहीं होगा,

प्रकृति को प्रताड़ित तुमने ही किया है।


^


क्यों सिमटा रहे हो पर्वतों को,

क्यों काटते हो वृक्षों को,

क्यों छीन रहे हो जानवरों के घर को,

क्यों बर्बाद कर रहे हो प्रकृति को।


-


पेड़ ताजी हवा देता है,

मनुष्य इसे कटवा देता है,

नदियां शीतल जल देती हैं,

मनुष्य इसे मोड़कर प्लॉट बना देता है,

प्रकृति जीवन दान देती है,

मनुष्य विनाश को न्योता देता है।


=> 07 - स्त्री सौंदर्य पर शायरी


मेघ के साए में, गिरि के बाहों में,

सुकून बसता है प्रकृति तेरी ही पनाहों में।


-


प्रकृति अभी भी बरकरार है,

तभी तो धरती पर बहार है।


*


यह धरा, ये हवा, ये गगन, ये पवन सब हैं प्रकृति के ही फूल,

इनका एहसास ही है जीवन की खुशबू और जिंदगी का मूल।


-


प्रकृति वरदान है, मत बना इसे अभिशाप,

हर किसी को दंड दे जाएंगे तेरे ये पाप,

बच्चों के लिए कहा से ला पाएगा ये शुद्ध हवा,

क्या अशुद्ध हवा में सांस ले पाएंगे बच्चे तेरे जवां,

वक्त रहते रोक दे यूं प्रदूषण और गंदगी को फैलाना,

वरना करना होगा हम सबको प्रकृति के प्रकोप का सामना।


^


नदी मर जाएंगी, पर्वत मर जाएंगे,

हवा, मिट्टी और पेड़ भी मर-मर जाएंगे,

नहीं रोका तूने प्रकृति संग खिलवाड़,

तो खत्म हो जाएगी जीने की आस।


-


प्रकृति से ही है जीवन का आधार

इसे बिना सबका जीवन है बेकार।


*


गगनचुंबी पहाड़ी,

ऊंचाई की खामोशी,

सूरज की रोशनी,

चंदा की चांदनी,

कुदरत की मदहोशी,

इनका कर्ज चुका सकती है सिर्फ सरफरोशी।


-


प्रकृति तेरे हर रूप की मैं दीवानी,

तेरी धूप, तेरी छांव के बिन दुनिया अधूरी,

नदी-नहरों का बहता ये पावन पानी,

ऐसी पावन प्रकृति बिन अधूरी मनुष्य की कहानी।


^


ये प्यारी ओस की बूंदे,

ये खिलखिलाती सूरज की किरणें,

ये लहराते हवा के झोकें,

सब हैं प्रकृति का तोहफे।


-


कभी आसमां में बादल काले,

कभी आसमां में सफेदी प्यारी,

कभी फूल हैं मुरझा जाते,

कभी खिलती है कली प्यारी-प्यारी।


=> 08 - कुदरत पर शायरी


प्रकृति है सबसे प्यारी,

कभी सूरज की धीमी रोशनी,

कभी हो जाती है धूप चिलचिलाती,

कभी छा जाता है घना अंधियारा,

कभी तारों की रोशनी है टिमटिमाती।


-


फिजा में बादल छा रहे हैं,

बारिश आने के आसार हैं,

हवा मग्न होकर नाच रही है,

प्रकृति को दिल से आभार है।


*


सौंदर्यता से प्रकृति भरी पूरी है,

इसकी रक्षा भी उतनी ही जरूरी है।


-


प्रकृति कहना चाहती है हमसे,

बचा है वक्त संभल जाओ अभी से,

बहुत हुआ दोहन और चली मनमर्जी,

नहीं सुधरे, तो फिर दिखेगी प्रकृति की सख्ती।


^


हवा की सरसराहट,

चिड़िया की चचहाहट,

समुद्र का शोर,

जंगलों में नाचते मोर,

इनका नहीं कोई मोल,

क्योंकि प्रकृति है अनमोल।


-


सुहाना मौसम, हवा का तराना,

खुशरंग है प्रकृति का हर नजारा।


*


पर्वत से सीखो गर्व से शीश उठाना,

सागर से सीखो जी भरकर लहराना,

प्रकृति नहीं सिखाती किसी को ठुकराना,

इसे बस आता है सबको अपनाना।


-


हमारा पहला कर्तव्य प्रकृति की सुरक्षा,

इससे बड़ा काम नहीं कोई दूजा,

प्रकृति का संरक्षण फर्ज है हमारा,

क्योंकि प्रकृति से ही जुड़ा है जीवन हमारा।


^


प्रकृति ने ही सबको पोषित किया है,

प्रकृति ने ही सबकुछ रोपित किया है,

प्रकृति से बढ़कर कोई वरदान नहीं,

प्रकृति से खिलवाड़ से बढ़कर कोई पाप नहीं।


-


कुदरत ने क्या खूब रंग दिखाया है,

इंसानों को प्रकृति दोहन का सबक सिखाया है,

घर में कैद होने के बाद समझ आया है,

कि प्रकृति को हमने कितना रुलाया है।


=> 09 - दुनिया की सबसे सुंदर शायरी


कुदरत का करिश्मा है, देखो चारों तरफ हरियाली है,

हम इनको हैं काटते और यह करती हमारी रखवाली है।


-


बुझा जिसने वही है सयाना,

प्रकृति में ही छुपा है अपार खजाना।


*


कुदरत का चमत्कार देखो

हर जगह हरियाली हैं

और हम काट रहे हैं हर दिन इसको

पर फिर भी करती हमारी रखवाली हैं


-


लुप्त हुए अब झील और नदिया

जंगल के जीवो को मिला मुकाम नही !

खुद इंसान मिटा रहा जीवन के अवयव

धरा पर बचा जीव का आधार नहीं


^


संभल जाओ ऐ दुनिया वालो

धरती माता पर करो घातक प्रहार नही !

ऊपर वाला करता आगाह हर पल

प्रकृति पर करो घोर अत्यचार नही


-


हुई जो प्रकति संग छेड़छाड़

उसका पुरस्कार हम धरती वालो को पाना होगा

लेकर सीख विपदाओं से

अब तो हमे संभल जाना होगा


*


प्रकृति की लीला सबसे न्यारी,

कहीं बरसता पानी, तो कही बहता पानी

कहीं दहाड़ता समंद्र है,

तो कहीं शांत सरोवर है।


-


हे प्रकृति मैं कैसे बताऊं तू हैं कितनी प्यारी,

हर दिन तेरी लीला न्यारी

तू कर देती है मन मोहित,

जब अँधेरी रात के बाद होती हैं सुबह प्यारी।


^


जंगल, नदियां, पहाड़ व सागर,

अंग और गरिमा धरती की,

इनको हो नुकसान तो समझो,

क्षति हो रही है धरती की।


-


एक माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति

बिना मांगे हमें कितना कुछ देती जाती है प्रकृति।

दिन में सूरज की रोशनी देती है प्रकृति

रात में शीतल चाँदनी लाती है प्रकृति।


=> 10 - प्रकृति पर शायरी रेख़्ता


इन्सान प्रकृति के अनुसार चले

यही दुनिया वालो के हित में है

प्रकृति का सम्मान करें सब,

यही हमारे हित में है।


-


सफ़ेद चादर से लिपटे ये पहाड़

और सफ़ेद चमकते बादल

दोनों हैं प्रकृति सुन्दरता की शान


*


आओ आओ प्रकृति की रचना से प्रेम करें,

धरती मेरी माता है,

और जंगल का मैं पुत्र हूं।

पहाड़ , समुद्र , झरना , वन्य जीव

सब मेरे भाई-बहन है,

इनकी रक्षा ही मेरा पहला धर्म है।


-


बारिश की बूंद फैलाये

हर तरफ हरियाली

ये हरियाली मिटाए

आपके जीवन की हर परेशानी


^


लाली है, चारो ओर हरियाली है,

रूप बहारो वाली यह प्रकृति,

मुझको जग से प्यारी है।


-


कुदरत का नियम है

बनता वही है जो सहन करने की क्षमता रखता है


*


प्रकृति की तरह ज़िन्दगी के भी मौसम होते हैं

इसलिए प्रकृति की तरह ज़िन्दगी के 

हर मौसम का आनंद उठायें


-


कुदरत के नियम बड़े ही निराले हैं

जो ज़िन्दगी के हर सार को खोलते हैं


^


आओ हम मिलकर पेड़ लगाए

धरती को फिर से स्वर्ग बनाएं


-


हमने गर लगाए खूब सारा पेड़

काम वो हमारे ही आएगा,

सींचेंगे गर हम उसे रोज

साथ वो हमारा जीवन भर निभाएगा


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