नज़र शायरी हिन्दी मे | 199+ BEST Nazar Shayari in Hindi

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=> 01 - टॉप Nazar Shayari in Hindi With Images


 तुम्हारी मस्त नज़र, अगर इधर नहीं होती, नशे में चूर फ़िज़ा इस क़दर नहीं होती।।


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तुम्हारी शातिर नज़रें क़त्ल करने में माहिर हैं, हम भी मर-मर कर जीने में उस्ताद हो गये हैं।।


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कोई एक पल हो तो नज़रें चुरा लें हम, ये तुम्हारी याद तो साँसों की तरह आती है ।।


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ये रात है, ये तुम्हारी जुल्फें खुली हुई है, है चांदनी या तुम्हारी नज़रें से मेरी रातें धुली हुई है।।



 चलो तुम्हारी ज़िद पे पिये लेते हैं हम साक़ी, पर ये वादा रहे नज़रें कभी ना चुराना हमसे।।


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 अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो - साहिर लुधियानवी।।


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नज़र तुम्हारी कभी जो उठे, हमारी तरफ, नज़र अन्दाज़ ही कर लेना, हमें जी भर कर।।


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 नज़रें ना चुराओ यूँ हमसे, सुबह होने में वक़्त काफी है, तुम्हारी आँखों को पढ़ लेने दो, उनमें राज़ अभी भी बाकी हैं।।



उस नज़र की एक जुम्बिश पर 'नज़ीर' काएनात-ए-इश्क़ लहराने लगी -नज़ीर बनारसी।।


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 नज़र में ख़्वाब नए,रात भर सजाते हुए तमाम रातें कटी तुमको गुनगुनाते हुए तुम्हारी बात,ख़याल में गुमसुम सभी ने देख लिया हमको मुस्कराते हुए।।


=> 02 - Nazar Shayari 2 Line


 नज़र में ख़्वाब नए,रात भर सजाते हुए तमाम रातें कटी तुमको गुनगुनाते हुए तुम्हारी बात,ख़याल में गुमसुम सभी ने देख लिया हमको मुस्कराते हुए।।


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 पैगाम आया है उनकी तरफ से ज़रा गौर फरमाना, नज़रो से जो शुरू हुआ था जो इश्क नज़र लगा गया उसको जमाना!!।।


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राख़ जिगर की यूँ उड़ाने लगा हैं वो आँखों में अब नजर आने लगा हैं वो, मोहब्बत की हदें देखना चाहता हैं हमारी सब्र हमारा अब आजमाने लगा हैं वो ।।


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 रिश्ते कभी कुदरती मौत नहीं मरते इनको हमेशा इंसान ही कल्त करता है, कभी नफ़रत से कभी नज़र अंदाज़ी से तो कभी ग़लतफहमी से ।।



 नज़र से दूर रख कर भी मुझ पर नज़र रखते हो, आखिर बात क्या है जो इतनी ख़बर रखते हो ।।


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 मेरी नजरो को आज भी तलाश है तेरी बिन तेरे ख़ुशी भी उदास है मेरी खुदा से मांगा है तो सिर्फ इतना मरने से पहले आपसे मुलाक़ात हो मेरी।।


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खुशबू बनकर तेरी साँसों में समा जायेंगे सुकून बनकर तेरे दिल में उतर जायेंगे, महसूस करने की कोशिश तो कीजिये एक बार दूर रहते हुए भी हम पास नजर आएंगे।।


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 हर वो पत्थर जिसकी ठोकर करे आगाह, मुझे दर्द दे भी तो भी हमदर्द नज़र आता है।।



 अजीब दुविधा है ये भी तुम्हारा चेहरा देख जो फिर से जीने लगते है तुम नज़रों से देख हमे फिर से मार देती हो !!।।


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 अल्फाज़ो में ढूंढता हु तुम्हे हक़ीक़त में कहा तुम नज़र आते हो।।


=> 03 - झुकी नज़र शायरी


तेरी झुकी ये नज़रें क्या कमाल लगती है इसे देख, शरीफों के दिलों में भी एक धमाल मचती  है।।


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मैंने उनसे पूछा की क्या तुम्हे मुझसे प्यार है, उन्होंने तो मुझे कुछ नहीं कहा  पर पर उनकी शर्माई  हुई झुकी नजरे जाते जाते  सब बयां कर गयी।।


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 झुकी झुकी सी ये नज़र कमाल करती है, सीधे-साधे लोगो को भी बेहाल करती है, निहाल करती है ,बवाल करती है, इन नज़रों के कैदियों को हलाल करती है ।।


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 नज़रे ये हमारी एक ख्व्वाब देखती है, खव्वाब में मेरा और तुम्हारा साथ देखती है, वो सपना ये बेहिसाब देखती है आखिर नज़रे है, फिर एक ख्वाब देखती है ख्व्वाब में तुम और तुम्हारा साथ देखती है।।



 चाँद से इस चेहरे को नज़रों  में बसाकर, कहां चलदी यूँ ऐसे दिवाना बनाकर, रुक भी जाओ ए सनम दिले बहार बात भी कर लो हमें कभी अपना बनाकर ।।


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 उतरा है मेरे दिल में कोई चाँद नगर से अब खौफ ना कोई अंधेरों के सफ़र से, वो बात है तुझ में कोई तुझ सा नहीं है कि काश कोई देखे तुझे मेरी नजर से।।


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नज़रें कुछ तो छुपा रही है दिल में कुछ और नज़रों में कुछ और ला रही है, अब ये नज़रें मुझको शता रहीं है, सच्ची बात ना तुझको बता रहीं है, दिल में छिपा रही है, बस रोये जा रहीं है।।


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 पहला प्यार भी अनोखा है, अरे ये नज़रों का धोखा है, जिसे दिल ने कई कई बार इसे रोका है।।



नज़रे मिलकर बातें छुपाना अच्छा नहीं पास बुलाकर यूँ चले जाना अच्छा नहीं फिर ना कहना ये तुम्हारा प्यार भी सच्चा नहीं नज़रे मिलाकर यूँ भूल जाना अच्छा नहीं ।।


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तेरी नज़रे देख दिल संभल नहीं पता किसी और की नज़र ना लगे हर वक्त मेरा दिल यहीं है चाहता।।


=> 04 - नज़र शायरी रेख़्ता


तेरी नज़रे देख दिल संभल नहीं पता किसी और की नज़र ना लगे हर वक्त मेरा दिल यहीं है चाहता।।


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 आंखे ना होती तो इन नज़रों का चार होना भी मुश्किल था, तुम ना होती तो दिल  के टुकड़े हजार  होना भी मुश्किल था  ।।


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 तस्वीरें आज भी बड़ी शिद्दत से देखती हूं तुम्हारी, पर आंखों मे तेरी वो चाहत नज़र नही आती अब।।


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 तुम्हारी शरारती नजरों को नज़र न लगे, ख़ुदा करे ये हमेशा यूँ ही मुस्कुराती रहे।।



 ज़िन्दगी आसान नहीं होती इसे आसान बनाना, पङता है कुछ अंदाज़ से कुछ नज़र-अंदाज़ से।।


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तुम्हारी नज़र हमारा दिल ले बैठी, बताते आपको हमारे दिल का हाल अगर तुम्हारी अमीरी बीच में नही आई होती।।


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 जीना भी आ गया मुझे, मरना भी आ गया, पहचानने लगा हूँ तुम्हारी नज़र को मैं।।


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 दिलबर हो एक तुम कि हमारी नज़र में हो, दिल है हमारा दिल कि तुम्हारी नज़र में है।।



जान-ऐ-जा अब हम तुम्हारी नज़र में खटकते ज़रूर है, ये बात अलग है तुम्हारी मोहब्बत भटकते ज़रूर है।।


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 तुम्हीं बताओ कि किस किस से मैं कलाम करूँ हो, तुम भी गोया तुम्हारी नज़र भी गोया है -अरशद सिद्दीक़ी।।


=> 05 - नज़र शायरी २ लाइन


आता है इक सितारा नज़र चाँद के क़रीब, जब देखते हैं ख़ुद को तुम्हारी नज़र से हम।।


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 क्या तारीफ करूँ मैं तेरी नजरों की इसने तो दीवाना बना दिया, छोरी से डरने वाले को नज़रों ने आज राँझा बना दिया।।


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 क़त्ल करती है तुम्हारी एक नज़र हज़ारों का, ऐसे ना देखा करो हमे.. तुम्हारा एक दीवाना और ख़त्म हो जाएगा।


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 एक बात बोलूं  दीवाना तो तुम्हारी नजरों ने बनाया है, बाकि सब तो फेंक जिसने सिर्फ लोगो को जलाया है।।



 तेरी कातिल नज़रों से जो टकराया होगा मुझे नहीं लगता वो अब तक घर पहुँच पाया होगा ।।


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एक झूठा व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में किसी सच्चे व्यक्ति की आँखों में आंखे मिलकर बात नहीं कर सकता।।


*


 बहुत खूबसूरत है तुम्हारी मुस्कराहट पर तुम मुस्कुराती कम हो, सोचता हूँ देखता ही रहू तुम्हे पर तुम नज़र आते ही कम हो।।


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 यूँ तो शिकायतें मुझे सैंकड़ों हैं तुमसे मगर, तुम्हारी एक नज़र ही काफी है सुलह के लिये।।



तुम एक नज़र देख लो खुद को मेरी नज़र से, तुम्हारी नज़रें तलाशेंगी खुद फिर मेरी नज़र को।।


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 मै तुम्हारी हर नज़र का गरूर हो भी सकता था, मै तेरी सब खताओं का कसूर हो भी सकता था।।


=> 06 - मेरी नजर शायरी


 इन आंखों की मस्ती इस कदर छाई है, बीच में फसा हूँ क्यूंकि एक तरफ कुआं तो एक तरफ खाई है।।


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 शर्म के मारे झुक रही हैं तुम्हारी नज़रें, कहा था इतने क़रीब ना आया करो।।


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ये शर्म हैं या हया हैं, क्या हैं, नज़र उठाते ही झुक गयी हैं, तुम्हारी पलकों से गिर के शबनम, हमारी आँखों में रुक गयी है।।


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यकीनन याद आती रहेगी, तुम्हारी वो रूहानी नज़र, रात भर, और तुम्हारी महकती खुश्बू रहेगी मेरी हमसफ़र रात भर।।


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 तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते, इसीलिए तो तुम्हें हम नज़र नहीं आते।।


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 ऐ शाहिद-ए-जमाल कोई शक्ल है की हो तेरी नज़र से तेरा नज़ारा कभी कभी - असर लखनवी।।


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 कितनी शिकायत भरी नज़रें हैं तुम्हारी मेरी बे-परवाही को चीरती हुई आ गई, मेरी ख़ामोशी की क़द्र तुम कर न पाए मेरा डर अब एक रूमानी वाक़िया हो गया।।


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 ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं अन्दर के सारे गम छुपा के मिलते हैं, जानते हैं आंखे सच बोल जाती हैं शायद इसी लिए वो नज़र झुका के मिलते हैं।।


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नज़र को नज़र की खबर ना लगे कोई अच्छा भी इस कदर ना लगे, आपको देखा है बस उस नज़र से जिस नज़र से आपको नज़र ना लगे।।


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मत मुस्कुराओ इतना कि फूलों को खबर लग जाए, करें वो तुम्हारी ताऱीफ इतनी कि नज़र लग जाए।।


=> 07 - तिरछी नज़र शायरी रेख़्ता


मत मुस्कुराओ इतना कि फूलों को खबर लग जाए, करें वो तुम्हारी ताऱीफ इतनी कि नज़र लग जाए।।


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आप ने कसम खाई थी दोस्ती निभाने की, फिर क्यों करते हो बातें हमे सताने की, हम इसलिए लड़ते है सबके सामने क्योंकि नजर लग जाती है रिश्तों को जमाने की।।


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 कोई नज़र तुझको छुए न तेरी नज़र उतार लूँगी, मैं आज की पूरी रात सिर्फ तेरी आँखों में गुजार दूंगी।।


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 तुझे देख कर ये जहां रंगीन नजर आता है, तेरे बिना दिल को चैन कहां आता है, तू ही है मेरे इस दिल की धड़कन तेरे बिना ये जहां बेकार नज़र आता है।।


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 तुम्हारी सीधी नज़र ने तो कोई बात न की तुम्हारी तिरछी नज़र का सवाल अच्छा था।।


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नज़र ख़ामोश, ज़ुबान चुप , सदा-ऐ-दिल महरूम, किसी का ज़िक्र न निकला , तुम्हारी बात के बाद।।


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नज़र ख़ामोश, ज़ुबान चुप , सदा-ऐ-दिल महरूम, किसी का ज़िक्र न निकला , तुम्हारी बात के बाद।।


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ये कहो, वो कौन सी बात ज़ुबाँ तक आते-आते रूक गयी, ये बताओ, उस बात की चुप्पी से तुम्हारी नज़रें क्यूँ झुक गयी।।


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मतलब निकल जाने पर पलट के देखा भी नही तुमने, रिश्ता तुम्हारी नज़र में कल का अखबार हो गया।।


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 नज़र मिला कर हमसे नजर चुरा रहे हो तुम, हम नजर भर के देख भी नहीं पाए थे तुम्हारी किसी अदा पे।।


=> 08 - किसी की नज़र न लगे शायरी


💦 हक-ए-बंदगी इस तरह अदा किया हमने, सभी की नज़र में तुझे खुदा किया हमने।।


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तुम्हारी नज़रों में वो नूर दिखता है, की मुझे तो सपनों में भी तुम्हारी ही नज़र आता है।।


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 किसी की नज़र में चढ़ गया हूँ मैं पता करो, चेहरे पे मेरे नूर की बरसात हो रही है।।


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 दिल नज़र पर अगर नज़र रखते प्यार का हादसा नहीं होता - इब्न-ए-मुफ़्ती।।


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 तजुर्बे से सारी दुनिया देखी है मैंने पर सच सारी दुनिया में, मैंने कोई खूबसूरत तुम सा नहीं देखा।।


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ये सुर्ख लब ये रुख़्सार और ये मदहोश नज़रें, इतने कम फासलों पर तो मैखाने भी नहीं होते।।


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 नज़र से गुफ्तगू,ख़ामोश लब ,तुम्हारी तरह, ग़ज़ल ने सीखे है अंदाज़,सब तुम्हारी तरह -बशीरबद्र।।


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 ये नाज़ो-हुस्न तो देखो कि दिल को तड़पाकर नज़र मिलाते नहीं मुस्कुराये जाते हैं ।।


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 तेरी पहली मुलाकात जिन्दगी में एक बहार लाई थी हर आईने में तेरी तस्वीर मुझे नजर आई थी, लोग कहते हैं प्यार में नींद उड़ जाती है हमने तो नींदों में ही प्यार की दुनिया बनाई थी।।


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 देख कर हैरान हूँ आईने का जिगर एक तो कातिल सी नज़र उस पर काजल का कहर।।


=> 09 - कातिल नजर शायरी


आईने में खड़ा शख्स तुझे अच्छे से जानता है, तू लाख भला बन जा किसी और की नज़र में।।


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 बस इतनी पाकीज़ा रहे आईना-ऐ-ज़िन्दगी, जब खुद से मिले नज़र तो शर्मसार ना हो ।।


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 मेरा आईऩा भी अब मेरी तरह पागल है, आईना देखने जाऊं तो नज़र तू आए।।


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मदहोश नजरों में अब इश्क की चाहत उभर आई है, मोहब्बत को छुपा लू दिल मे पर आँखे तो हरजाई है।।


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नजर और नसीब के मिलने का इत्तफाक कुछ ऐसा है कि नजर को पसंद हमेशा वही आता है जो नसीब मे नही होता।।


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 निकाल दे अपने दिल से हर डर को नजारे मिलेंगे नए फिर तेरी नजर को, दामन भर जाएगा सितारों से तेरा ये दुनिया देखेगी तब तेरे उभरते हुनर को।।


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दुनिया में किसी पर हद से ज्यादा निर्भर ना रहें क्यूंकि जब आप किसी की छाया में होते हैं तो आपको अपनी परछाई नज़र नहीं आती।।


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 हमको तूफ़ान के ख़तरों से डराते क्यों हो, हम समंदर के तमाशों पे नज़र रखते हैं।।


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अब तो सिर्फ हिकारत भरी नज़रें है,या खामोश अलफ़ाज़, जो जता जाते हैं की अब हम ना हैं तुम्हारी दुनिया में,ना कोई चाह हमारी।


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जिसे रिश्तों में न दिखा तो पत्थर में क्या दिखेगा इबादत की नज़र से देख ज़र्रे ज़र्रे में ख़ुदा दिखेगा।।


=> 10 - नजर शायरी इमेज


नज़रों की बात कर रहा है तू अरे नजरें तो ऐसा काम  कर जाती है पल में सोना है, नहीं तो पत्थर की तरह नीलाम  कर जाती है ये नज़रें हैं बाबू  नींदे हराम कर जाती है।।


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 नज़रों का ही खेल है ये सारा, जिनमे फस गया दिल बेचारा।।


*


जाने क्या कशिश है तुम्हारी मदहोश आँखों में, नज़र अंदाज़ जितना करो नज़र तुम्हीं पे ही पड़ती है।।


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 इस कदर प्यार है तुमसे है हमसफर, अब तो जीतें हैं हम बस तुम्हे चाहकर तुम्हारी हर अदा तुम्हारी हर नज़र ये क्या कहने लगी तुम्हे है क्या ख़बर।।


^


 नज़रें मिलाकर यूँ ना जाओ, दिल कहता है यहीं बस यहीं ठहर जाओ।।


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हम अपने दुश्मन को भी बहुत मासूम सज़ा देते हैं, नही उठाते उस पर हाथ बस नज़रों से गिरा देते है ।।


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 वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे झुका लेगी, उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना वो नादान है यारो अपना हाथ जला लेगी।।


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एक सपने की तरह तुझे सजा के रखूं चाँदनी रात की नज़रों से छूपा के रखूं, मेरी तक़दीर में तुम्हारा साथ नही वरना सारी उमर तुझे अपना बना के रखूं!!।।


^


एक सपने की तरह तुझे सजा के रखूं चाँदनी रात की नज़रों से छूपा के रखूं, मेरी तक़दीर में तुम्हारा साथ नही वरना सारी उमर तुझे अपना बना के रखूं!!।।


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मौसम चल रहा है इश्क का साहिब जरा सम्भल कर के रहियेगा अगर नजरें नज़रों को मार देंगी तो हमें कातिल ना कहियेगा।।


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